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मधुमेह रोग से खुद को कैसे बचाएं – (मधुमेह की बीमारी से बचने की उपाए)

विश्व में लाखो लोग डायबिटीज की बीमारी से पीड़ित हैं।

मधुमेह (Diabetes) क्या हैं?

  • मधुमेह को आमतौर पर शुगर की बिमारी से भी जाना जाता है। यह बीमारी भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है।
  • हमारे देश में लगभग 6 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
  • इस बीमारी में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इन्सुलिन नामक हॉर्मोन के द्वारा भोजन को ऊर्जा में परिवर्तन किया जाता हैं।
  • मधुमेह यानी डयबिटीज से पीड़ित लोगो के शरीर में इंसुलिन की मात्रा पर्याप्त नहीं होती, या उनके शरीर द्वारा बनाया गया इंसुलिन पूरी तरह से काम नहीं करता। इसलिए शरीर की कोशिकाएं शुगर को सम्मिलित (absorb) नहीं कर पाती , और खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है

मधुमेह मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं :

मधुमेह के प्रकार

  • इस प्रकार की मधुमेह को इन्सुलिन पर निर्धारित मधुमेह या बच्चों, किशोरावस्था व युवा व्यस्क लोगो में अचानक प्रारम्भ होने वाली मधुमेह की शुरुआत बच्चों के शरीर में पैनक्रियाज़ द्वारा इन्सुलिन का पूर्ण निर्माण न हो पाने की वज़ह से होती हैं।
    मरीज़ को अपनी बीमारी को नियन्त्र में रखने व जीवित रहने के लिए इन्सुलिन की ज़रुरत पड़ती हैं। इंसुलिन बंद करने पर जान का खतरा हो सकता हैं।
  • इसे वयस्क यानी बड़े लोगों में होने वाली मधुमेह कहते हैं। इस अवस्था में शरीर के अंदर इन्सुलिन का उत्पादन होता हैं, परन्तु उसकी मात्रा शरीर की ज़रुरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होती। इस कारण खून में शुगर का मात्रा बढ़ जाती हैं।
    मधुमेह 40 वर्ष या उस से अधिक की आयु के लोगो में होती है पर यह जल्दी भी हो सकती हैं।

गर्भावस्था में होने वाले मधुमेह :

इस प्रकार की मधुमेह, महिलाओ में गर्भावस्था के दौरान होती है। इसे Gestational कहते हैं। यदि इन् महिलाओं की स्थिती की ध्यानपूर्वक देखभाल न की जाये तो जटिलताओं का खतरा रहता हैं।

  • गर्भावस्था में यदि खून में शुगर की मात्रा अधिक होती है तो गर्भ में शिशु वजन ज़्यादा हो सकता हैं। इस की वज़ह से प्रसव में कठिनाई हो सकती हैं, और माँ और बच्चे को प्रसव के समय क्षति पहुँच सकती है।
  • प्रसव के पश्चात मधुमेह स्वयं ही सामान्य हो जाती हैं। परन्तु कुछ महिलाओं में मधुमेह प्रसव के बाद भी रह जसाक्ति हैं। जिन महिलाओं में गर्भावस्था के समय मधुमेह होती है। उन में जीवन में आगे जा कर यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता हैं।

मधुमेह के लक्षण क्या होते हैं।

शुरुआत में ज्यादातर मधुमेह से पीड़ित मरीजों में कोई लक्षण नहीं होते है। कई लोगों में तो इसका अचानक ही पता चलता है जैसे की किसी ऑपरेशन से पहले।

आमतौर पर मधुमेह में पाए जाये वाले लक्षण :

  • बार बार पेशाब लगना
  • ज्यादा प्यास लगना
  • बहुत अधिक भूख लगना
  • वजन का असामन्य रूप से काम होना
  • जल्दी थक जाना
  • चक्कर आना
  • चिड़चिड़ापन होना
  • ठीक से नींद न आना
  • आँखों की रोशनी कमजोर होना या धुंधला दिखना
  • हाँथ व् पैरों में झनझनाहट या सुन्न होना
  • बार बार त्वचा, मसूड़े व् पेशाब का संक्रमण होना
  • चोट या घाव का देर से भरना या ठीक न होना
  • गुप्तांग के अस्स पास खुजली का होना, इत्यादि।

मधुमेह से बचाव

मधुमेह से बचाव सम्भव है ये तीन चरणों में होता है।

प्राथमिक बचाव


इस का अर्थ है उन लोगी में मधुमेह होने से रोकना जिन में अभी यह बीमारी शुरू ही नहीं हुई है। मधुमेह से बचने के लिए आवश्यक है की स्वस्थ जीवन शैली अपनायी जाए,
जैसे की पर्याप्त व्यायाम, उचित खान पान और वजन पर नियन्त्र रखना।

जैसे की आपको बताया गया है की कुछ लोगों में मधुमेह का खतरा अधिक रहता है। यदि आप भी उस श्रेणी में आते है तो जल्दी ही अपनी जांच करवाए , जिससे बीमारी जल्दी पकड़ी जा सके और इसका इलाज समय पर हो सके।

खानपान पर नियंत्रण : खानपान पर नियन्त्र से अर्थ है की शरीर की ज़रुरत अनुसार संतुलित भोजन का सेवन किया जाये। भोजन में अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी सब्जियां, दूध दही से बानी चीजों का सही मात्रा में सेवन करें।

प्रतिदिन निश्चित समय पर आहार ग्रहण करें।

रोटी बनाने में आटे के साथ चोकर का भी प्रयोग करें।

कम घी व तेल वाला व अधिक रेशेदार भोजन करें।

सेब, नाशपाती जैसे फलों का सेवन बिना छिलका उतरने करे, तथा मौसमी व संतरे जैसे फलों का गूदा चबा कर न फेंके व संपूर्ण फल खाये।

अपने भोजन में अंकुरित अनाज भी शामिल करें।

मधुमेह से बचने के लिए सक्रिय जीवन शैली अपनाये और प्रतिदिन व्यायाम करें।

माध्यमिक बचाव

इस का अर्थ है मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को जटिलताओं से बचाना। मधुमेह में पीड़ित व्यक्तियों को चाहिए की निम्लिखित बातों का ध्यान रखें।

  • उचित खान पान यानि कम घी तेल वाला व अधिक रेशेदार भोजन करें।
  • सहरीरिक तौर पर सक्रीय रहे।
  • सही दवाई लें।
  • वजन को तय सीमा में रखें।
  • स्वस्थ जीवन शैली अपनाये।
  • अपने खून में शुगर की मात्रा की नियन्त्र में रखें।

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